Acharya shilak Ram

Kurukshetra University, Kurukshetra
  •  102
    यह ग्रन्थ किसी एक संप्रदाय, मत, वाद, सिंद्धात या दार्शनिक विचारधारा से संबंधित नहीं है । इसकी प्रचलित विभिन्न व्याख्याओं, टीकाओं या इसके अर्वाचीन-प्राचीन भाष्यों से यदि किसी को यह लगे कि यह किसी संप्रदाय, मत, वाद, सिद्धान्त या दार्शनिक विचारधारा का ग्रन्थ है तो यह जानना चाहिए कि यह उस-उस सम्प्रदाय, भगवद्गीता के संबंध में अपनी दृष्टि है, श्रीमद्भगवद्गीता का सत्य-सार या उपदेश नहीं। इस ग्रन्थ के संबंध में भ्रांतियों का कारण स्वयं के पूर्वाग्रह या किसी संप्रदाय-विशेष से जुड़ना हो सकता है, लेकिन स्वयं…Read more